Tuesday, December 6, 2011

झूमे रे मन ...



निशा समेटे
तारों भरी चूनर
लो उषा आई ....






उषा के गाल
शर्म से हुए लाल
सूरज आया ...




आया सूरज
किरणें इतराई
खिले कमल ...

खिले कमल
महकी यूँ फ़िजा
भँवर जागा ....

जागे भँवर
गुन्जारे गुनगुन
तितली नाची ....


 नाचे तितली
ता थई ता थई ता
हँसी दिशाएँ....

हँसी दिशाएँ
गगन भी मगन
बावली धरा ....

बावली धरा
ओढ़े धानी चूनर
गाए रे पंछी ...

गाए रे पंछी
गीत मनभावन
 झूमे रे मन ...