tag:blogger.com,1999:blog-8813078077760050632.post1698861901103739428..comments2024-03-27T20:39:40.258-07:00Comments on युग-चेतना: ‘ई’ जन्मदिन (E-Birthday)Kamlanikhurpa@gmail.comhttp://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8813078077760050632.post-37913731347862501932014-03-12T10:49:18.041-07:002014-03-12T10:49:18.041-07:00बहना जब तू ( प्राचार्या हो 'तू' शब्द से ना...बहना जब तू ( प्राचार्या हो 'तू' शब्द से नाराज़ न होना)लिखती है तो एक -एक शब्द मेरी आँखों के आगे जीवन्त हो जाता है। जितना सच्चा और सुच्चा तेरा मन , वैसा ही तेरा लेखन ।तू सदा खुश रहे मन की मासूम मेरी गुड़िया -सी प्यारी । तेरे पास कभी किसी दुख की छाया न आए । अब घण्टी बजा नहीं पाती , बजवाती है कि चलो अब हुई छुट्टी । बस ऐसे ही शब्दों के मोती बिखेरर्ती रहना सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8813078077760050632.post-40197293623547384302014-01-03T06:42:27.064-08:002014-01-03T06:42:27.064-08:00लम्बे अरसे के बाद यहाँ पर आई. हर दिन जन्मदिन इसलिए...लम्बे अरसे के बाद यहाँ पर आई. हर दिन जन्मदिन इसलिए इतने दिनों बाद भी जन्मदिन के लिए अशेष बधाई. बहुत उम्दा लिखा है आपने. सच में ज़िंदगी ऐसी उलझा देती है की खुद को भी हम भूल जाते हैं. शुभकामनाएँ!डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.com