Sunday, August 18, 2013

नीला नभ , आसमान में आँचल लहराती प्रकट हुई मेघा रानी ,  पेड़ों के पीछे छुपा है नटखट पवन... मेघा रानी को दौड़ा रहा है ...ये क्या दौड़ते -दौड़ते मेघा तो नकचढी बिजली से टकरा गयी... उफ़ गगरी फूट गयी और झर- झर  गिरने लगे सावनी हाइकु ... 

हवा   दौडाए 
 भागी भागी फिरे है 
मेघा पगली |

गिरी धम से 
टकराई बिजली 
फूटी गागर |


चूनर हरी 
 भीगी वसुंधरा की 
सिहर उठी |


मुख निहारे
निर्मल  नीली  झील 
बनी दर्पण |

पावस रानी 
टिप टिप बजाए 
जल तरंग | 

झूमे रे तरु 
पपीहरा गाए है 
नाचे है मोर |



कमला निखुर्पा 
१९ अगस्त २०१३ 

No comments: