Friday, April 20, 2012

ये दिल तेरा (ताँका)


ये दिल तेरा (ताँका)

रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
ये दिल तेरा
है गहरा सागर
जाना हमने
भर पाए हम तो
इक छोटी गागर ।
-0-

Thursday, April 19, 2012

मेरे प्यारे भैया को समर्पित...(जिन्होंने मुझे हाइकु लेखन के लिए प्रेरित किया ).


गागर छोटी 
भरूं मैं तो सागर 
हाइकु हो ना ?


बहती जाए 
नयनों से नदियाँ 
सागर हो क्या ?


महक उठा
मोरा  माटी सा तन 
फुहार हो क्या ?


डूब चली मैं 
नेह ज्वार उमडा
चन्दा हो क्या ?


तिरती जाऊं 
ज्यों लहरों पे नैया 
खिवैया हो  क्या ?


तुमने छुआ 
क्या से क्या बन चली 
पारस हो क्या ?


कुछ यूँ लगा 
उमंगित है मन 
त्यौहार हो क्या ?


कौन हो तुम ?
कितने रंग तेरे 
चितेरे हो क्या ?


जो भी हो तुम
हो जन्मों के मीत 
कह भी दो हाँ 

मैं नहीं बोली 
बोल पडी कविता 
छंद ही हो ना ?