युग-चेतना
कमला निखरूपा ..... 'हृदय की अनुभूतियों की संगम स्थली '
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Wednesday, September 15, 2010
हाइकु
:
कमला निखुर्पा
1-
मन के मेघ
उमड़े है अपार
नेह बौछार।
2-
छलक उठे
दोनों नैनों के ताल
मन बेहाल।
3-
छूने किनारा
चली भाव-लहर
भीगा अन्तर
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