छलक उठे दोनों नैनों के ताल मन बेहाल। -इस हाइकु ने तो मन को ही छू लियां नैनों के ताल की उपमान- योजना बेहत खूबसूरत है और कम से कम शब्दों मेंसुन्दर बिम्ब प्रस्तुत कर दिया है । यही हाइकु की सामर्थ्य है।
हुज़ूर, मैंने बहुत हाइकु पढ़े हैं अब तक...लेकिन बहुत कम ने ‘बहुत अधिक’ प्रभावित किया। बाढ़ के चलते काफी खरपतवार भी बहकर चला आया है हाइकु-प्रदेश में।
आज अर्से के बाद किसी की हाइकु-रचनाएँ मन में गहरे उतर सकीं। इन्हें मैं हाइकु नहीं, बल्कि आपके घनीभूत चिंतन के प्रभावशाली कैप्स्यूल्ज़ कहूँगा जो भीतर पहुँचते ही अपना असर दिखा जाते हैं।
हुज़ूर, मैंने बहुत हाइकु पढ़े हैं अब तक...लेकिन बहुत कम ने ‘बहुत अधिक’ प्रभावित किया। बाढ़ के चलते काफी खरपतवार भी बहकर चला आया है हाइकु-प्रदेश में।
आज अर्से के बाद किसी की हाइकु-रचनाएँ मन में गहरे उतर सकीं। इन्हें मैं हाइकु नहीं, बल्कि आपके घनीभूत चिंतन के प्रभावशाली कैप्स्यूल्ज़ कहूँगा जो भीतर पहुँचते ही अपना असर दिखा जाते हैं।
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छलक उठे
दोनों नैनों के ताल
मन बेहाल।
-इस हाइकु ने तो मन को ही छू लियां नैनों के ताल की उपमान- योजना बेहत खूबसूरत है और कम से कम शब्दों मेंसुन्दर बिम्ब प्रस्तुत कर दिया है । यही हाइकु की सामर्थ्य है।
हुज़ूर,
मैंने बहुत हाइकु पढ़े हैं अब तक...लेकिन बहुत कम ने ‘बहुत अधिक’ प्रभावित किया। बाढ़ के चलते काफी खरपतवार भी बहकर चला आया है हाइकु-प्रदेश में।
आज अर्से के बाद किसी की हाइकु-रचनाएँ मन में गहरे उतर सकीं। इन्हें मैं हाइकु नहीं, बल्कि आपके घनीभूत चिंतन के प्रभावशाली कैप्स्यूल्ज़ कहूँगा जो भीतर पहुँचते ही अपना असर दिखा जाते हैं।
मुग्ध हूँ आपके इस सृजन पर...बधाई!
हुज़ूर,
मैंने बहुत हाइकु पढ़े हैं अब तक...लेकिन बहुत कम ने ‘बहुत अधिक’ प्रभावित किया। बाढ़ के चलते काफी खरपतवार भी बहकर चला आया है हाइकु-प्रदेश में।
आज अर्से के बाद किसी की हाइकु-रचनाएँ मन में गहरे उतर सकीं। इन्हें मैं हाइकु नहीं, बल्कि आपके घनीभूत चिंतन के प्रभावशाली कैप्स्यूल्ज़ कहूँगा जो भीतर पहुँचते ही अपना असर दिखा जाते हैं।
मुग्ध हूँ आपके इस सृजन पर...बधाई!
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