Showing posts with label हाइकु:कमला निखुर्पा. Show all posts
Showing posts with label हाइकु:कमला निखुर्पा. Show all posts

Saturday, August 13, 2011

रक्षाबन्धन के हाइकु (हाइकु)


कमला निखुर्पा
1
अक्षत भाई
रोली बनी बहना
घर-मंदिर ।
2
राखी के धागे
ले उड़ती फिरी है
प्यारी बहना।
3
बावरी घटा
रस बरसाए है
भीगे बहना।
4
भरी अँखियाँ
छ्लकता जाए है
नैनों से नेह ।
5
भाई का नेह
बिन बदरा के ही
बरसा मेह
6
जेठ की धूप
शीतल पुरवाई
मेरा ये भाई।
7
नैनों की सीपी
चम चम चमके
नेह का मोती।
8
बंद मुठ्ठी में
घरौंदे की मिट्टी सी
भाई की चिट्ठी।
9
तेरा चेहरा
नभ में चमके ज्यों
भोर का तारा।
10
आई हिचकी
अभी अभी भाई ने
ज्यों चोटी खींची।
11
मेरा सपना
हँसे मुसकराए
भाई अपना।
12
है अभिलाषा
हर जनम मिले
भाई तुमसा।
13
मन -भँवरा
जीवन की बगिया
गुंजन गाए।
14
मैं रहू कहीं
तुमसे मेरी पीर
ना जाए सही।
15
 तेरे आशीष
फूल बन बरसे
भरा दामन।
16
नेह बंधन
ज्यों मन गगन में
चंदा रोशन ।
17
तेरी दुआएँ
जीवन मरुथल में
ठंडी  हवा
एँ
-0-
मेरे हाइकु यहाँ भी पढ़िएगा -कमला निखुर्पा

Saturday, May 7, 2011

छुप जाऊँ माँ-- मैं आँचल में तेरे (मातृ -दिवस के उपलक्ष्य में)



कमला निखुर्पा
1
छुप जाऊँ माँ
मैं आँचल में तेरे
दुख घनेरे।
2
हर जनम
बनूँ मैं तेरा कान्हा
माँ  तू यशोदा।
3
मेरा मंदिर,
गिरजा, मस्जिद तू
तुझे ही पूजूँ।
4
मन में बोए
तूने नेह के बीज
बाँटती फिरूँ।
 5
माँ  तेरा नेह
पावन गंगाजल
मैं हूँ निर्मल।
6
जीवन- प्यास
तो माँ तू बरसात
छूटे न साथ।







7
सोई जब तू
गीले बिछौने पर
भीगा है खुदा।


8
आँखों की नमी
झुर्रियों भरी हँसी
बरसे खुशी !
-0-

Wednesday, September 15, 2010

हाइकु


:कमला निखुर्पा 
1-
मन के मेघ
उमड़े है अपार
नेह बौछार।






2-
छलक उठे
दोनों नैनों के ताल
मन बेहाल।





 

3-
छूने किनारा
चली भाव-लहर

भीगा अन्तर