कमला निखुर्पा
1
छुप जाऊँ माँ
मैं आँचल में तेरे
मैं आँचल में तेरे
दुख घनेरे।
2
हर जनम
बनूँ मैं तेरा कान्हा
माँ तू यशोदा।
3
मेरा मंदिर,
गिरजा, मस्जिद तू
तुझे ही पूजूँ।
4
मन में बोए
तूने नेह के बीज
बाँटती फिरूँ।
माँ तेरा नेह
पावन गंगाजल
मैं हूँ निर्मल।
6
जीवन- प्यास
तो माँ तू बरसात
छूटे न साथ।
सोई जब तू
गीले बिछौने पर
भीगा है खुदा।
8
आँखों की नमी
झुर्रियों भरी हँसी
बरसे खुशी !
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2 comments:
स्नेह -माधुर्य से भीगे आपके ये हाइकु अँगूठी में जड़े नगीने की तरह हैं । आप जैसे रचनाकार ही हाइकु को खोई हुई प्रतिष्ठा दिलाएँगे ; ऐसा विश्वास है ।
सोई जब तू
गीले बिछौने पर
भीगा है खुदा।
मार्मिक.....
मदर्स डे पर लाजवाब हाईकू .....
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