Saturday, May 7, 2011

छुप जाऊँ माँ-- मैं आँचल में तेरे (मातृ -दिवस के उपलक्ष्य में)



कमला निखुर्पा
1
छुप जाऊँ माँ
मैं आँचल में तेरे
दुख घनेरे।
2
हर जनम
बनूँ मैं तेरा कान्हा
माँ  तू यशोदा।
3
मेरा मंदिर,
गिरजा, मस्जिद तू
तुझे ही पूजूँ।
4
मन में बोए
तूने नेह के बीज
बाँटती फिरूँ।
 5
माँ  तेरा नेह
पावन गंगाजल
मैं हूँ निर्मल।
6
जीवन- प्यास
तो माँ तू बरसात
छूटे न साथ।







7
सोई जब तू
गीले बिछौने पर
भीगा है खुदा।


8
आँखों की नमी
झुर्रियों भरी हँसी
बरसे खुशी !
-0-

2 comments:

सहज साहित्य said...

स्नेह -माधुर्य से भीगे आपके ये हाइकु अँगूठी में जड़े नगीने की तरह हैं । आप जैसे रचनाकार ही हाइकु को खोई हुई प्रतिष्ठा दिलाएँगे ; ऐसा विश्वास है ।

हरकीरत ' हीर' said...

सोई जब तू
गीले बिछौने पर
भीगा है खुदा।
मार्मिक.....

मदर्स डे पर लाजवाब हाईकू .....