रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव , डैलास , यू एस ए
1
दूधिया हँसी
खिलगवा चेहरा
फूल लजाये
2
फूल लजाये
2
धानी अँचरा
बिछाइस धरती
रस उमड़ा
रस उमड़ा
3
गील पलक
नयन पियाला मा
सिन्धु छ्लके ।
4
गील पलक
नयन पियाला मा
सिन्धु छ्लके ।
4
मन- बगिया
तन फूलों का हार
महका प्यार।
5
तन फूलों का हार
महका प्यार।
5
बदरा आवे
मनवा कै सीपिया
मोतिया गिरे
6
मनवा कै सीपिया
मोतिया गिरे
6
रतिया डारे
कोहरा के चूनर
ठंढात चाँद
7
पहाड़ी नदी
टघरत (पिघलना )बरफ
वेग मा बही
8
8
मनवा फूल
पंखुरिया नाजुक
मुरझाएँ ना ।
पंखुरिया नाजुक
मुरझाएँ ना ।
9
फूटे अंकुर
मन के बनवा मा
तू जीवन मा
10
कटिन पेड़
कटिन पेड़
उजड़ गवा गाँव
उगा महिल
-0-
6 comments:
वाह रचनाजी !
बिलकुल नए रूप मे अपने हाइकु को देख रही हूँ।
अवधी रंग
हाइकु खेले होरी
रचना संग
शब्द चयन बहुत अच्छा है।
आभार…
हाइकू मनोरम हैं .मूल पाठ भी होता ,सौन्दर्य बढ़ जाता .
हाइकू मनोरम हैं .मूल पाठ भी होता ,सौन्दर्य बढ़ जाता .कटीं पेड़ उजाड़ गवा गाँव .
आदरणीया कमला जी
सादर नमस्कार !
बहुत सुंदर हाइकू !
असमंजस में हूं कि इनके लिए आपको बधाई दूं या रचनाजी को … :)
अवधी रूपांतरण पढ़ने के उपरांत मैं अनुमान लगा सकता हूं कि मूल हिंदी हाइकू कितने हृदयग्राही होंगे …
भाषा और काव्य शिल्प की क्षमता और सामर्थ्य से साक्षात् करना बहुत भाया …
पढ़ कर मैं
सुंदर ये हाइकू
अभिभूत हूं !
आप दोनों को
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
आपकी पुरानी कई पोस्ट्स भी पढ़ीं … बहुत अच्छी लगीं । आभार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Fute aanand manva ma .sundar haayiku
वाह, क्या बात है,
बहुत सुंदर
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