आरोह -अवरोह और यति-गति का काव्य-वाचन में बहुत महत्त्व है । यदि भावानुकूल वाचन होगा तो अर्थ सहज रूप से अभिव्यक्त हो जाएगा । हरिवंशराय बच्चन की कविता 'बुद्ध और नाचघर' इसका महत्त्वपूर्ण उदाहरण है ।
-कमला निखुर्पा http://wwwsamvedan.blogspot.com/2011/10/budh-aur-naach-ghar.html
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