Sunday, March 24, 2013


आई है होली


फागुन संग इतरा के आई है होली
सर र र र चुनरी लहराई  रे होली
सरसों भी शरमा के झुक झुक जाए
खिलखिला रही वो देखो टेसू की डाली |
फागुन संग इतरा के आई रे  होली |


अमुआ की डाली पे फुदक-फुदक
कानों में कुहुक गीत गाए है होली |
                  इंद्र धनुष उतरा गगन से  धरा पे
सतरंगी झूले पे झूल रही  होली |
फागुन संग इतरा के आई रे  होली |

खन खन खनकी गोरे हाथों की चूडियाँ
पिचकारी में रंग भर लाई रे होली |
अखियाँ अबीर,  गाल हुए हैं गुलाल आज
भंग की तरंग संग लाई है होली |
फागुन संग इतरा के आई है होली |










गलियाँ चौबारे बने ब्रज – बरसाने
घर से निकल चले कुंवर कन्हाई
ढोलक की थाप सुन गूंजे मृदंग धुन   
संग चली गीतों की धुन अलबेली |
फागुन संग इतरा के आई रे होली |
इंद्र धनुष उतरा गगन से  धरा पे
सतरंगी झूले पे झूल रही  होली |

 कमला निखुर्पा



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