मन की झील
यादों की कंकड़िया
उठी लहर |
उठी लहर
भीगे नयन कोर
हुई विभोर |
यादों की घटा
मेरा मन आकाश
बरसे नैना |
जन्मों की प्यासी
अँखियाँ यूँ बरसी
मैं तो सावन |
बरसे नैना
भीगा मन आँगन
सोंधा जीवन |
यादों के मोती
बिखेरूं औ पिरोऊँ
हार सजाऊं|
मन चितेरा
पल-पल उकेरे
यादों के झाँकी |
बंद पलकें
खोले मन के द्वार
यादें हजार |
कोरी थी स्लेट
लिखे तूने जो गीत
कैसे मिटाऊं?
छाप अमिट
स्नेह की इबारत
पढ़ती जाऊं |
कभी हँसाए
रुलाके मार डाले
निगोड़ी यादें |
तन्हाई में
मेरे सूने मन की
सहेली यादें |
अनकही सी
उलझी-उलझी सी
पहेली यादें |
कमला निखुर्पा
No comments:
Post a Comment