Thursday, September 24, 2020

आओ अपनी भाषा के गीत मधुर मिलकर गाएं |

 


रस की गंगा बहती कल कल ,

शब्दों के अनगिन  दीप जले|

भाव-लहरिया  उठती गिरती 

जब छंद-घंटिका  मधुर बजे |

आओ इंडिया वालो अब भारत के रंग में रंग जाएँ

आओ अपनी भाषा के गीत मधुर मिलकर गाएं  |

हो वेद मन्त्रों से भोर सुहानी

मन में गीता का ज्ञान बसे |

ममता की माखन रोटी पा

हर बालक कान्हा बन जाए|

आओ इंडिया वालो फिर बंशी की धुन सुन मुसकाएँ

आओ अपनी भाषा के गीत मधुर मिलकर गाएं  |

आओ ओढ़ें  कबीरा की चादर,

मंदिर मस्जिद के भेद भुलाएं|

रसखान के गिरिधर नागर संग

मीरा के मन की पीर हरें|

हम पावन गंगा तट वासी, क्यों सागर से अपनी प्यास बुझाएं,

अपनी भाषा के परचम को लहरा, पुनः विश्वगुरु कहलाएं |

आओ अपनी भाषा के गीत मधुर मिलकर गाएं  |

आओ इंडिया वालो अब भारत के रंग में रंग जाएँ |


                            कमला निखुर्पा 

 

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