Sunday, August 18, 2013

नीला नभ , आसमान में आँचल लहराती प्रकट हुई मेघा रानी ,  पेड़ों के पीछे छुपा है नटखट पवन... मेघा रानी को दौड़ा रहा है ...ये क्या दौड़ते -दौड़ते मेघा तो नकचढी बिजली से टकरा गयी... उफ़ गगरी फूट गयी और झर- झर  गिरने लगे सावनी हाइकु ... 

हवा   दौडाए 
 भागी भागी फिरे है 
मेघा पगली |

गिरी धम से 
टकराई बिजली 
फूटी गागर |


चूनर हरी 
 भीगी वसुंधरा की 
सिहर उठी |


मुख निहारे
निर्मल  नीली  झील 
बनी दर्पण |

पावस रानी 
टिप टिप बजाए 
जल तरंग | 

झूमे रे तरु 
पपीहरा गाए है 
नाचे है मोर |



कमला निखुर्पा 
१९ अगस्त २०१३ 

Thursday, August 15, 2013

ज़रा याद करें कुर्बानी



आजादी  पर्व 
है भारतवासी को  
देश पे गर्व । 

उड़ता मन 
विस्तृत गगन  में 
तिरंगे संग । 

गाए अवाम 
एक सुर में आज 
वन्देमातरम । 

लगाए गश्त 
चौकस हैं  निगाहें 
सीमा  प्रहरी । 

लगाता घात 
मित्र बनके  शत्रु 
 धराशायी तू । 



गड़ती  कीलें 
देख तेरा ताबूत  
 माँ के दिल में । 

भारत माता 
लगे श्वेत  साड़ी  में 
तेरी विधवा  । 

 मिट  के भी तू 
अमर है  शहीद
गूंजे ये गीत । 

कमला 


Friday, July 12, 2013

सुनहरी सुबह


सुनहरी सुबह
पंछियों ने चहककर कहा
उठो, जागो, प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

चुपके से ठंडी हवा ने कपोलों को छूकर कहा
खिड़कियाँ खोलो जरा, देखो तुम्हे नजारा बुला रहा है
वो देखो बादलों की रजाई में दुबका सूरज भी कुनमुनाकर जाग उठा है
तुम भी आलस छोडो प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

पलकें उठाकर तो देखो अपनी बगिया को
रंग बिरंगी यूनीफार्म में सजकर तितलियाँ भी पराग लेने चल पड़ी हैं
तुम भी चल पड़ो बस्ता लेकर कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

पन्ने फडफडाकर कब से तुम्हे जगा रही है तुम्हारी प्यारी कॉपी
कह रही, संग चलूंगी मैं भी, छोड़ न देना मुझे घर पे अकेली |
अरे रे ..मचल उठी है नन्हीं कलम भी , हाथों में आने को बेकल
लुढ़क ना जाए रूठकर उसे थाम लो तुम
लिख डालो नई इबारत कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

आओ कि बाहें फैलाकर खड़ा है विद्यालय प्रांगण
हंसा दो अपनी खिलखिलाहट से कि गूंजे दिशाएं
आओ कि पेड़ों ने तुम्हारी राहों में फूल बिखराए है
नन्हे हाथों से तुमने रोपे थे जो पौधे
प्यास उनकी बुझा दो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

देखो तो ज़रा , द्वार पे खड़ा सुरक्षा प्रहरी
तुम्हारे स्वागत में, मूंछों में मुस्कराया है |
तोतली मीठी बोली में काका सुनकर मन उसका हरषाया है |
बाँध लो सबको पावन रिश्तों में कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

आशीष तुम्हे देने को कब से खड़ी माँ शारदा वागेश्वरी
वीणा के तारों को सुर दो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |
नन्ही उँगलियों से थामकर कलम को
चल पड़ो सृजन पथ पर कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

चले आओ प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

Sunday, July 7, 2013

भीगे हाइकु

भरी भरी थी 
बदरा की अँखियाँ 
बही नदियाँ |

छप से गिरी 
चपला गगन से 
टूटी बिखरी |

छलक उठा 
सरवर का जाम 
नशीली धरा |

इक कोंपल 
नन्हीं सी  दो  कलियाँ 
उगा हाइकु |