कमला निखुर्पा
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल,
सूर्य बनकर सबको जगाता आए नया साल।
हर गरीब के आँगन में खुशी की सुनहरी धूप हो,
हर ललना के मुखड़े पे हँसी की चमक अनूप हो।
हर दिन को त्योहार बनाता आए नया साल,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल।
वेद की पावन ॠचाएँ , पाक कुरान को गले लगाएँ ,
इक ओंकार के सबद कीर्तन, घर-घर अलख जगाएँ ।
मंगलगीत सबको सुनाता आए नया साल ,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल।
चीर तमस के भेदभाव को, हिय नेह की जोत जले,
बेगाने अपने बन जाएँ , मानवता खूब में पले।
पूरे विश्व को प्रेमगीत सुनाता आए नया साल,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल।
माँगे न कोई भीख अब, बच्चा काम पे ना जाए,
हर बालक के हाथ किताब थमाता आए नया साल,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल,
सूर्य बन सबको जगाता आए नया साल।
3 comments:
नए साल के उपलक्ष्य में इतनी सुन्दर कविता पढ़ने को मिली । आपको यह वर्ष समस्त सुख-समृद्धि प्रदान करे । रामेश्वर काम्बोज
bahut sunder ikha hai .aaj hi padha mn aanand se bhargaya
rachana
आदरणीय हिमांशुजी, रचनाजी आप दोनों का हार्दिक धन्यवाद…नूतन वर्ष, सृजन की अभिनव सरिता को जन्म दे…।सतत प्रवाह की धारा बहती रहे…
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