चोका में बहना
जनम मिले
मुझे जब जग में
तुम हो बहना
हो चाहे प्रलय भी
साथ न छूटे
हम दोनों का कभी
हाथ न छूटे
मैं रहूँ ॠणी सदा
तेरे प्यार का
बँधा ही रहूँ सदा
स्नेह -डोर से
हृदय के छोर से
तुम पावन
मेरी मनभावन,
मेरा गहना
सुख-दुख में मेरे
गले लगे रहना
'हिमांशु '
2 comments:
सहेजूँ कैसे .... छलके छलके है ...भाई का नेह ..
बहुत सुन्दर रचना .. भाई बहन के स्नेह पर
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