Sunday, July 7, 2013
Tuesday, May 21, 2013
मैं नलिनी ,कोमल कमल
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अंजुमन।
उपहार।
काव्य संगम।
गीत।
गौरव ग्राम।
गौरवग्रंथ।
दोहे।
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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है|
Sunday, May 12, 2013
पहाडी नार
मैं
पहाड़न
घास
मेरी सहेली
पेड़ों
से प्यार |
वो बचपन
वो
माटी का आँगन
भुलाऊं
कैसे
दादी
की गुनगुन ?
कोंदों
की रोटी
नमक
संग खाऊं
वो भी
ना मिले
तो मैं
भूखी सो जाऊं |
खेत
जंगल
निराली पाठशाला |
निराली पाठशाला |
मेरा
तो बस्ता
घास
का भारी पूला |
मेरी
कलम
कुदाल
औ दराती |
दिन
भर भटकूँ
फिसलूं
गिरूँ
चोट
खाके मुस्काऊं
उफ़ ना
करूं
नंगे
पाँव ही
चढनी
है चढाई,
आंसू
को पोछ
लड़नी
है लड़ाई |
सूने
है खेत
वीरान
खलिहान |
भूखी
गैया ने
खड़े किए
हैं कान |
पत्थर
सा कठोर
है
भाग्य मेरा ,
फूलों
से भी कोमल
है
गीत मेरा |
हुई बड़ी मैं
नजरों में गड़ी मैं
पलकें ना उठाऊं |
खुद को छुपा
आँचल ना गिराऊं|
मेंहदी रचे
नाजुक गोरे हाथ|
पराई हुई
बाबुल की भी गली |
हुई विदा मैं
बाबा गंगा नहाए
आंसू
में भीगी
मेरी
माँ दुखियारी |
तीज
त्यौहार
आए बुलाने भाई
भाई
को देख
कितना
हरषाई!!
दुखड़ा
भूल
अखियाँ
मुसकाई
एक पल
में
बस एक
पल में
बचपन
जी आई |
कमला
निखुर्पा
Tuesday, April 9, 2013
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