Wednesday, January 11, 2012
Tuesday, December 6, 2011
झूमे रे मन ...
निशा समेटे
तारों
भरी चूनर
लो उषा
आई ....
उषा के गाल
शर्म से
हुए लाल
सूरज
आया ...
आया सूरज
किरणें
इतराई
खिले
कमल ...
खिले कमल
महकी
यूँ फ़िजा
भँवर
जागा ....
जागे भँवर
गुन्जारे
गुनगुन
तितली
नाची ....
ता थई
ता थई ता
हँसी
दिशाएँ....
हँसी दिशाएँ
गगन
भी मगन
बावली
धरा ....
बावली धरा
ओढ़े
धानी चूनर
गाए रे
पंछी ...
गाए रे पंछी
गीत
मनभावन
झूमे
रे मन ...Wednesday, October 19, 2011
Saturday, October 15, 2011
ताँका
पहाड़ी नदी:कमला निखुर्पा
1
पहाड़ी नदी
है अल्हड़ किशोरी
कभी मचाए
ये धमाचौकड़ी तो
कभी करे किल्लोल।
2
पहाड़ी नदी
बहाती जीवनधारा
सींचे प्रेम से
तरु की वल्लरियाँ
वन औ’ उपवन
3
पहाड़ी नदी
है अजब पहेली
कभी डराए
हरहरा कर ये
जड़ें उखाड़ डाले …।
4
तटों से खेले
ये अक्कड़ -बक्क्ड़
छूकर भागे,
तरु को तिनके को,
आँखमिचौली खेले…।
5
आईना दिखा
बादलों को चिढ़ाए…।
कूदे पहन
मोतियों का लहंगा
झरना बन जाए…।
6
बहती चली
भोली अल्हड़ नदी
छूटे पहाड़
छूटी घाटियाँ पीछे…
सबने दी विदाई…।
7
चंचल नदी…
भूली है चपलता…
गति मंथर…
उड़ गई चूनर…
फैला पाट -आँचल …।
8
पहाड़ी नदी
पहुँची सिंधु-तट
कदम रखे
सँभल सँभल के…
थकी मीलों चलके।
9
पहाड़ी नदी
बन जाती भक्तिन
बसाए तीर्थ
तटों पर पावन
भक्त भजन गाए ।
10
दीपों से खेले
लहराकर बाँहें
कहे तारों से
आ जाओ मिलकर
खेलेंगे होड़ाहोड़ी।
11
कभी लगती
चिता जो तट पर
बिलख उठे
बहाकर अस्थियाँ
कलकल रव में
-0-
भावों के दीप
भावों के दीप
12
भावों के दीप
यूँ ही जलते रहें
मन - देहरी ,
जगमग रौशन
जीवन हो तुम्हारा
13
घिसता जाए
क्षणभंगुर तन
मन चंदन
बिखराए सुगंध
पावन है जीवन
-0-
चार तांका किसान के लिए
कड़क धूप
जलाती तन-मन
हाड़ कँपाती
छत टपक रोती।
16
कटी फ़सल
अन्न लदा ट्रकों पे
लगी बोलियाँ
किसान के हिस्से में
भूसे का ढेर बचा ।
17
प्यारा था खेत
बहा ले गया
पगलाया बादल
बस एक पल में।
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