आँखों में लरजता प्यार है।
झुर्रियों से भरा चेहरा तेरा
कहता अनुभव अपार है।
तेरे उन्मुक्त हँसी के ठहाके
हर आँगन की शान है।
ये वृद्ध-बुजुर्ग नमन तुम्हें
तू भारत की शान है।
बडी–बडी नुकीली मूँछों में
छुपी मीठी मुसकान है।
बटुआ तेरा खाली–खाली सा
पर मन सोने की खान है।
ये वृद्ध बुजुर्ग नमन तुम्हें
तू भारत की शान है।
अनजाना है गाँव तेरा
लगता है मुझको अपना- सा।
ये लहराते हरे खेत
लगता है ये इक सपना –सा ।
मरुभूमि सिंचित तेरे पसीने से
तुझको मेरा प्रणाम है।
ये वृद्ध बुजुर्ग नमन तुम्हें
तू भारत की शान है।
शायद तुझमें ही छुपा हुआ
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान है।
तेरे गाँव की मिट्टी से ही
मेरा भारत महान है।
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डोकरा= बूढ़ा
द्वारा- कमला
1 comment:
डोकरा जी को सलाम बहुत ही खूबसूरत शब्दचित्र है । कमला निखुर्पा के पास आत्मीयता से पूउर्ण शब्दावली है जो बिम्ब को प्रस्तुत करने में सक्षम है ।
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