कमला निखरूपा ..... 'हृदय की अनुभूतियों की संगम स्थली '
एकदम नई कल्पना , नई सोच । हारकर आदमी अपने घुटनों में ही आसरा ढूँढ़ता है । बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति ! प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
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