युग-चेतना
कमला निखरूपा ..... 'हृदय की अनुभूतियों की संगम स्थली '
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Friday, November 19, 2010
आसरा
आसरा
इस कदर गरज के बरसे हैं, बेमौसम ये बादल
ढहने लगा है आशियां मेरा ।
आसरा तलाशे निगाह ए बैचेन, सर छुपाने को
अपने घुटनों से बेहतर कोई आसरा न मिला ।
कमला 19.11.2010
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