Tuesday, May 10, 2011

अवनि मैं आउंगा

अवनि मैं आऊंगा

अवनि मैं आऊंगा
तुम करना इंतजार मेरा
मैं बावरा बसंत  इस बरस भी
तुमसे मिलने आऊंगा।

प्यारी धरा! ना हो उदास
जानता हूं मैं …
ग्रीष्म ने आकर तेरा तन-मन झुलसाया था
रेतीली आंधियों में तेरा मनकमल मुरझाया था।

तड़पकर तुमने प्रिय पावस को पुकारा होगा
पावस ने आकर तुम्हे बार-बार रुलाया होगा
गरजकर बरसकर तुम्हे कितना डराया होगा
तन को झकझोर, मन में गिराकर बिजलियां
ओ वसुन्धरा…तेरी गोद में छोड़ नन्हे अंकुरों को,
बैरी चल दिया होगा।

लेकर तारों की चूनर फ़िर छलिया शरद भी आया
माथे पे तेरे चांद का टीका सजाकर भरमाया, बहलाया।
चांदनी रातों मे उसने भी विरहन बना के रुलाया।
तेरी  करुण चीत्कार… पपीहे की पीर बन उभर आई होगी।
ओ मेरी वसुधा…मैंने सुनी है तेरी पुकार
मै आऊंगा।

शिशिर के आने से तू कितना घबराई होगी
छुपकर, कोहरे की चादर तले
थर-थर कांपी होगी, पाले सी जम गयी होगी।
प्यारी अवनि तू ना हो उदास…।
मै आऊंगा …

तेरे ठिठुरते बदन से उतार कोहरे की चादर धवल
मैं तुम्हें सरसों की वासंती चूनर ओढ़ाऊंगा
मैंने नयी-नयी पत्तियों से परिधान तेरा बनाया है।
खिलती कलियों को चुन हार तेरा सजाया है,
सुनो…भंवरे की गुनगुन बन तेरे कानो में मुझे कुछ कहना है
यूं लजाओ मत…कोयल की कूक बन तुम्हे गीत नये सुनाना है।
किसलय के आंचल को लहरा जब तू शरमाएगी
मैं तेरे पूरबी गालों पर लाली बन मुसकराऊंगा।
अवनि मैं आऊंगा।
तेरे मन उपवन में प्रेम के फ़ूल खिला,
त्रिविध बयार से तेरी सांसों को महकाऊंगा।
तुम जोहना बाट मेरी…
अवनि मैं आऊंगा।




कमला
04-02-2011




Saturday, May 7, 2011

छुप जाऊँ माँ-- मैं आँचल में तेरे (मातृ -दिवस के उपलक्ष्य में)



कमला निखुर्पा
1
छुप जाऊँ माँ
मैं आँचल में तेरे
दुख घनेरे।
2
हर जनम
बनूँ मैं तेरा कान्हा
माँ  तू यशोदा।
3
मेरा मंदिर,
गिरजा, मस्जिद तू
तुझे ही पूजूँ।
4
मन में बोए
तूने नेह के बीज
बाँटती फिरूँ।
 5
माँ  तेरा नेह
पावन गंगाजल
मैं हूँ निर्मल।
6
जीवन- प्यास
तो माँ तू बरसात
छूटे न साथ।







7
सोई जब तू
गीले बिछौने पर
भीगा है खुदा।


8
आँखों की नमी
झुर्रियों भरी हँसी
बरसे खुशी !
-0-

Wednesday, January 5, 2011

आए नया साल


कमला निखुर्पा
 मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल,
सूर्य बनकर सबको जगाता आए नया साल।
हर गरीब के आँगन में  खुशी की सुनहरी धूप हो,
हर ललना के मुखड़े पे हँसी की चमक अनूप हो।
हर दिन को त्योहार बनाता आए नया साल,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल।
वेद की पावन ॠचाएँ , पाक कुरान को गले लगाएँ ,
इक ओंकार के सबद कीर्तन, घर-घर अलख जगाएँ ।
 मंगलगीत  सबको सुनाता आए नया साल ,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल।
चीर तमस के भेदभाव को,  हिय  नेह की जोत जले,
बेगाने अपने बन जाएँ , मानवता खूब में पले।
पूरे विश्व को प्रेमगीत सुनाता आए नया साल,
 मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल।
माँगे न कोई भीख अब, बच्चा काम पे ना जाए,
हर बालक के हाथ  किताब थमाता आए नया साल,
मन हरषाता सुख बरसाता आए नया साल,
सूर्य बन सबको जगाता आए नया साल।